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रिंकू सिंह कभी करते थे झाड़ू-पोछा लगाने की नौकरी, पिता सर पर ढोते थे सिलेंडर, नौकरी छोड़ रिंकू सिंह कैसे बने IPL के स्टार तूफानी बल्लेबाज

By admin

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इंडियन प्रीमियर लीग(IPL) में 9 अप्रैल (रविवार) को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम मेंएक ऐसा मुकाबला खेला गया, जिसे फैन्स कई सालों तक नहीं भूलेंगे. कोलकाता नाइट राइडर्स और गुजरात टाइटन्स के बीच खेले गए इस मुकाबले के मुख्य किरदार रहे रिंकू सिंह. बाएं हाथ के बल्लेबाज रिंकू सिंह ने मुकाबले के आखिरी ओवर में ऐसा अद्भुत खेल दिखाया, जिसकी तारीफ करने के लिए शब्द कम पड़ गए.

कोलकाता को आखिरी ओवर में जीत के लिए 29 रन बनाने थे और उसकी हार लगभग तय दिख रही थी. गुजरात टाइटन्स के कार्यवाहक कप्तान राशिद खान ने आखिरी ओवर फेंकने की जिम्मेदारी बाएं हाथ के पेस बॉलर यश दयाल को सौंपी. यश दयाल की पहली गेंद पर उमेश यादव ने सिंगल लेकर स्ट्राइक रिंकू सिंह को दिया. इसके बाद रिंकू ने लगातार पांच छक्के लगाकर टीम को जीत दिला दी.

आखिरी सात गेंदों पर बना डाले 40 रन

रिंकू सिंह अपनी टीम के कप्तान नीतीश राणा के आउट होने के बाद क्रीज पर उतरे थे. 25 साल के रिंकू ने अपनी पारी की काफी धीमी शुरुआत की और पहले 14 गेंदों पर उन्होंने सिर्फ 8 रन बनाए. लेकिन, रिंकू ने जो आखिरी सात गेंदें खेलीं उसमें उन्होंने 40 रन बनाए. कुल मिलाकर रिंकू सिंह ने 21 गेंदों का सामना करते हुए नाबाद 48 रन बनाए, जिसमें छह छक्के और एक चौका शामिल था.

रिंकू के आईपीएल करियर का ये बेस्ट स्कोर रहा.आईपीएल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी टीम ने आखिरी ओवर में इतने रन बनाकर मुकाबला जीता हो. इससे पहले आईपीएल 2016 में राइजिंग पुणे सुपर जायंट्स ने पंजाब किंग्स के खिलाफ आखिरी ओवर में जीत के लिए जरूरी 23 रन बना लिए थे. इस धमाकेदार पारी के बाद रिंकू सिंह आईपीएल के सुपरस्टार खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. रिंकू सिंह की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है.

रिंकू सिंह की इस वजह से होती थी पिटाई

रिंकू का जन्म 12 अक्टूबर 1997 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था और वह 5 भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं. रिंकू के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और वह गैस सिलिंडर डिलीवरी का काम करते थे. उधर रिंकू को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था, लेकिन पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इस खेल में समय बर्बाद करे. इसके चलते रिंकू की कई बार जमकर पिटाई भी हो जाती थी. इसके बावजूद रिंकू ने क्रिकेट खेलना जारी रखा. दिल्ली में खेले गए एक टूर्नामेंट में उन्हें इनाम के तौर पर बाइक मिली थी मिली, जिसे उन्होंने अपने पिता को सौंप दी. इसके चलते रिंकू की पिटाई तो बंद हो गई थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब बनी हुई थी. ऐसे में रिंकू ने नौकरी करने का फैसला किया.

…जब रिंकू को मिली झाड़ू-पोछा लगाने की नौकरी

रिंकू ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, जिसके कारण उन्हें कोचिंग सेंटर में झाड़ू-पोछा लगाने की नौकरी मिली. रिंकू को इस काम में मन नहीं लगा और उन्होंने कुछ दिनों में ही इस नौकरी को अलविदा कह दिया. इसके बाद रिंकू ने पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाया, जो उनका करियर चमका सकता था. रिंकू सिंह के करियर को नई उड़ान देने में दो लोगों मोहम्मद जीोशान और मसूद अमीन ने मदद की. मसूद अमीन ने रिंकू को बचपन के दिनों से क्रिकेट की ट्रेनिंग दी है, वहीं जीशान ने अंडर-16 ट्रायल में दो बार फेल होने के बाद इस क्रिकेटर की काफी मदद की. खुद रिंकू सिंह ने भी इस बात का एक इंटरव्यू में खुलासा किया था.

रिंकू की मेहनत आखिरकार रंग रंग लाई, जब 2014 में उन्हें उत्तर प्रदेश की ओर से लिस्ट-ए और टी20 क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला. रिंकू सिंह ने दो साल बाद पंजाब के खिलाफ मुकाबले से अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू भी किया. रिंकू ने उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया. आईपीएल 2017 की नीलामी में रिंकू को किंग्स इलेवन पंजाब (अब पंजाब किंग्स) ने 10 लाख रुपए में खरीदा था. हालांकि उस सीजन उन्हें एक ही मुकाबला खेलने को मिला.

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